रुड़की। आईआईटी रुड़की द्वारा साउथ एशिया एलायंस ऑफ डिजास्टर रिसर्च इंस्टिट्यूट, आईआईटी रुड़की के सहयोग से एक दिवसीय आपदा जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र को उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के महानिदेशक प्रो० दुर्गेश पन्त ने सम्बोधित किया। प्रो० पन्त ने आईआईटी रुड़की की 175 वर्ष पुरानी समृद्ध परम्परा का जिक्र करते हुए कहा कि आपदाओं को रोक पाना प्रत्यक्ष तौर पर हमारे हाथ में नहीं है, परन्तु इनके शमन के उपायों से परिचित होकर इनके दुष्प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को आगामी 10 से 12 फ़रवरी तक देहरादून में आयोजित होने वाली ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस में भाग लेने के लिए आमंत्रित भी किया।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो० के के पन्त ने बादल फटने, जंगल में आग लगने सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं का उल्लेख करते हुए इनसे बचाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम से जुड़े प्रतिभागी संस्थाओं को प्रशिक्षित होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें किताबी ज्ञान से इतर प्रायोगिक जानकारी पर अधिक महत्त्व दिया गया है, जो इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन की उपयोगिता को प्रदर्शित करता है। ऐसे आयोजनों से मिलकर ही एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना साकार हो सकता है।
इससे पहले उन्नत भारत अभियान, क्षेत्रीय समन्वय संस्थान, आईआईटी रुड़की के क्षेत्रीय समन्वयक प्रो० आशीष पाण्डेय ने उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रतिभागी संस्थान के समन्वयकों के जरिये प्राकृतिक आपदा के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उद्घाटन सत्र के उपरान्त आईआईटी रुड़की के डॉ० पंकज कुमार तथा सुरक्षा अधिकारी विश्वनंदन कुमार सिंह द्वारा ट्रेनिंग मॉड्यूल का सत्र आयोजित किया जायेगा।
कार्यक्रम को साउथ एशिया एलायंस ऑफ डिजास्टर रिसर्च इंस्टिट्यूट, आईआईटी रुड़की के समन्वयक प्रो० सुमित सेन ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का सञ्चालन यूबीए कार्यक्रम से जुडी छात्राएं चंदा कुमारी व देबलीना रॉय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन साउथ एशिया एलायंस ऑफ डिजास्टर रिसर्च इंस्टिट्यूट से एस० श्रीकृष्णन ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में दीपक रावत, पंकज कुमार, नितिन वर्मा का विशेष योगदान रहा। उक्त कार्यक्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड राज्य के 34 संस्थाओं से 92 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।