रुड़की: 2022 विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही नेताओं का चुनावी सीजन में अदला बदली का दौर अब तेज होने लगा है। वहीं भाजपा नेता के बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से इस सीट पर वोटरों के समीकरण भी बदल सकते हैं। साथ ही नेता अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए दलबदल कर राजनीतिक में जीत हांसिल करना चाहते है।
बता दें कि भगवानपुर विधानसभा में एक बार फिर दलबदल की राजनीति देखने को मिल सकती है, बीजेपी नेता सुबोध राकेश की हाथी पर सवार होने की राजीनिक चर्चाएं जोरों पर है। जिससे बीजेपी को भगवानपुर विधानसभा में एक बड़ा झटका लग सकता है। सुबोध राकेश का कहना है कि बीजेपी के पास भगवानपुर में कई बड़े नेता है जो बीजेपी को चुनाव जिता सकते हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि सुबोध राकेश पार्टी से नाराज है। बताते चलें कि 2015 में भगवानपुर विधानसभा के उपचुनाव में सुबोध राकेश कांग्रेस पार्टी में अपनी भाभी के साथ थे। वही 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सुबोध राकेश ने बीजेपी का दामन थामा था और चुनाव लड़े थे जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
गौलतब है कि स्वगर्गीय सुरेंद्र राकेश बसपा से चुनाव लड़े थे और उंसके बाद वो कंग्रेस में शामिल हो गए थे। 2015 में दिवंगत सुरेंद्र राकेश का आकस्मिक निधन हो गया था। उसके बाद उनकी पत्नी ममता राकेश ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया, लेकिन सुबोध राकेश को ये रास नही आया और वो बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद सुबोध राकेश 2017 में भाजपा से चुनाव लड़े और वो करीब 2.513 वोटों से हारे थे। वही एक बार फिर सुबोध राकेश की बसपा में जाने की चर्चाओं का राजनीतिक बाजार गर्म है।
वहीं विधायक ममता राकेश का कहना है कि भगवानपुर की जनता सबकुछ जानती है। इसलिए अपने स्वार्थ के लिए पार्टियों को बदला जाना जनता के हित में नही है। इसका जवाब जनता 2022 विधानसभा चुनाव में देगी।
अब देखने वाली बात है ये होगी कि यदि सुबोध राकेश बसपा में शामिल होते हैं तो बीजेपी भगवानपुर में पैराशूट प्रत्याशी को उतारेगी या स्थानीय नेताओं पर भरोसा जताएगी। ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इस समय भगवानपुर विधानसभा में दलबदल की राजनीति जोरों पर चल रही है।
वहीं राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने पर कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक काफी हद तक की टक्कर इन के पाले में आ सकता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस विधायक के लिए यहां से जीत दोहराना आसान नहीं होगा।