रूड़की में दरगाह साबिर पाक का सालाना उर्स मेंहदी डोरी की रस्म के साथ शुरू हो गया। गुरुवार की देर शाम चांद दिखाई देने पर देर रात तक मेंहदी डोरी की रस्म को अदा किया गया। इस दौरान अकीदतमंदों का जनसैलाब मेंहदी डोरी की रस्म में भाग लेने पहुँचा, तो वही सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन द्वारा पुख़्ता इंतज़ाम किए गए थे।
आपको बता दे सूफीईज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का 753 वा सालाना उर्स रविउल-अव्वल का चांद दिखाई देने पर मेंहदी डोरी की रस्म के साथ विधिवत रूप से शुरू हो चुका है। चांद दिखाई देने के बाद मेंहदी डोरी सज्जादानशीन के क़दीमी घर पिरान कलियर से शुरू होकर देर रात दरबार शरीफ पहुँची, जिसके बाद आस्ताने साबिर पाक में मेंहदी डोरी, संदल पेश किया गया। रस्म अदायगी के बाद मेंहदी डोरी का प्रसाद जायरिनों को वितरित किया गया, इसके बाद दरबार शरीफ में मुल्क में अमनो अमान की दुआओं के साथ रस्म पूरी हुई।
सज्जादानशीन शाह अली एजाज साबरी ने बताया कि साबिर पाक का उर्स मेंहदी डोरी की रस्म के साथ शुरू होता है, इस रस्म में मेंहदी, कलावा, और संदल की थाल सर पे लेकर जुलूस के रूप में दरबार शरीफ में आया जाता है, जिसके बाद इस मेंहदी डोरी सनदल को प्रसाद के रूप में अकीदतमंदों में तकसीम किया जाता है। उन्होंने बताया दरगाह साबिर पाक के तत्कालीन सज्जादानशीन शाह अब्दुल रहीम के जमाने से मेंहदी डोरी की रस्म को अदा किया जाता है, शाह अब्दुल रहीम ने ही उर्स के आगाज पर मेंहदी डोरी की रस्म को शुरू किया था जो बरसो से बदस्तूर आज भी जारी है।
इस रस्म में साबिर पाक के चाहने वाले शामिल होने के लिए दूर दराज से पिरान कलियर पहुँचते है और रस्म में शिरकत कर फैजियाब होते है। मेंहदी डोरी की रस्म के बाद उर्स का विधिवत शुभारंभ हो चुका है।