हरिद्वार TODAY
रूडकी: श्री भवानी शंकर आश्रम रूडकी में 21 नवंबर से 27 नवंबर तक शिव महापुराण कथा, रुद्राभिषेक और दैनिक यज्ञ का आयोजन किया गया। शिव महापुराण कथा के सप्तम दिवस, विराम सत्र की कथा में, श्री श्री 1008 महा मंडलेश्वर स्वामी हेमानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि शिव महापुराण की कथा में भगवान् के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की बहुत सुन्दर कथा है। ऐसा कहा जाता है कि जो इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन जीवन में कर लेता है, साक्षात् भगवान् शंकर की कृपा उसे प्राप्त होती है। यदि जीवन में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का अवसर न मिले तो मनुष्य को प्रातः और सांयः काल भगवान् के द्वादश नामों का उच्चारण प्रेम और श्रद्धा से करने पर उनकी कृपा का प्रसाद मिलता है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि उस मनुष्य के सात जन्मों के पाप ताप संताप नष्ट हो जाते हैं जो इन पावन द्वादश ज्योतिर्लिंगों का नाम श्रद्धा और प्रेम से लेता है। श्री श्री 1008 महा मंडलेश्वर स्वामी हेमानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि कैसे माँ भगवती ने धरती पर अवतार लेकर अनेकानेक पापियों का विनाश किया। उन्होंने आगे संन्यास का अर्थ और स्वरुप समझाया और महा शिवरात्रि की महात्मय समझाया। कोई व्यक्ति यदि भगवान् शिव की पूजा न कर पाए, किन्तु महा शिवरात्रि के चारों प्रहर श्रद्धा से भगवान् शिव की पूजा करने पर पूरे वर्ष उनकी पूजा करने जितना फल प्राप्त होता है।
शिव महापुराण कथा के सप्तम दिवस आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया और पूरे नगर से भक्तों ने भारी संख्या में आकर कथा का श्रवण किया और भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। बता दें कि श्री भवानी शंकर आश्रम रूडकी में शिव महापुराण कथा, रुद्राभिषेक और दैनिक यज्ञ का आयोजन 21 नवंबर से 27 नवंबर कर किया गया। यह आयोजन श्री महंत रीमा गिरी जी और श्री महंत त्रिवेणी गिरी जी के पर्यवेक्षण में हुआ, विशेष सानिध्य साध्वी डॉ निर्मला गिरी जी और श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी मैत्रेयि गिरी जी महाराज का रहा ।