रुड़की क्षेत्र में करीब 200 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। माता-पिता केवल दूध पिलाकर या दाल का पानी और चावल का पानी पिलाकर ही संतोष कर लेते हैं, जबकि बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- इस समय बाल विकास विभाग की ओर से राष्ट्रीय पोषाहार माह चलाया जा रहा है। इसमें विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं को अपने और बच्चों की तंदुरुस्ती बनाए रखने के लिए खानपान आदि की जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा बाल विकास विभाग की ओर से अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसमें गर्भवती महिलाओं से लेकर गर्भावस्था से डिलीवरी के बाद बच्चों को पौष्टिक सामग्री दी जा रही है। इसके बावजूद गांव से लेकर शहर तक में बच्चे कुुपोषण का शिकार हो रहे हैं।
भले ही बाल विकास विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए कई योजनाओं को राज्य सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा हो, मगर रुड़की क्षेत्र में इस विभाग और कई अभिभावको की कमी के चलते योजनाओं को पलीता लगता नज़र आ रहा है। वही अनेक योजनाओं को संचालित किए जाने के बावजूद शहर में बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। बच्चों के कुपोषण का शिकार होने की सबसे अहम वजह अभिभावकों की लापरवाही और जागरूकता का अभाव है।
रुड़की क्षेत्र में बाल विकास विभाग ग्रामीण द्वितीय नाम से कार्यालय हैं। वर्तमान में इन तीनों में कुपोषित बच्चों की संख्या 200 है। इनमें अति कुपोषण की श्रेणी में करीब 120 बच्चे दर्ज हैं। बच्चों के कुपोषण होने की सबसे पहली वजह अभिभावकों का लापरवाह होना है। अक्सर देखने में आता है कि अभिभावक बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। केवल दूध पिलाकर या दाल का पानी और चावल का पानी पिलाकर ही इतिश्री कर लेते हैं। इसके अलावा बच्चों के वजन और लंबाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। इससे बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।