नई दिल्ली। टोक्यो पैरालंपिक में 53 साल के इतिहास में भारत ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। भारत ने इससे पहले 53 साल में 12 मेडल जीते थे लेकिन टोक्यो में अकेले भारत के नाम 19 मेडल थे। इसमें से एक मेडल भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया का था। ये उनका तीसरा पैरालंपिक मेडल था। इससे पहले उन्होंने 2004 एथेंस और 2016 रियो में भी गोल्ड मेडल जीता था। हालांकि इस बार वे गोल्ड नहीं सिल्वर ही जीते लेकिन फिर भी ये मेडल उनके लिए बहुत खास था। ये उनका तीसरा पैरालंपिक मेडल था। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक के सभी पदकवीरों से मुलाकात की। जिसका वीडियो आज पीएम मोदी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर जारी किया गया। इस वीडियो में देवेंद्र झाझरिया भी पीएम मोदी का आभार जताते दिखे और उन्होंने एक कहानी भी साझा की जो 2004 एथेंस पैरालंपिक की थी। टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया ने कहा कि, सर सबसे पहले आपको मेरी बेटी जिया की तरफ से नमस्कार। टोक्यो जाने से पहले आपने जो प्रोत्साहन दिया और परिवार से बात की उस हौसले से हम टोक्यो पहुंचे। उसी हौसले से हम ग्राउंड पर गए, उसी हौसले से हम खेले और उसी हौसले से हमने मेडल जीता। पैरालंपिक खेलों में दो बार गोल्ड मेडल जीतने वाले झाझरिया ने आगे कहा कि आज मैं 2004 एथेंस पैरालंपिक का एक किस्सा आपके सामने सुनाउंगा। सर 2004 में मैं कॉलेज स्टूडेंट था उस वक्त एथेंस पैरालंपिक में जाने के लिए मैंने मां के गहने बेचकर पैसा मैनेज किया था। फिर मैंने गोल्ड जीता और मुझे खुशी हुई। देवेंद्र ने आगे एक और किस्सा बताया उन्होंने कहा कि एथेंस में ही एक खिलाड़ी था और उसके पीछे तीन लोग थे। मैंने किसी से पूछा कि भाई वो खिलाड़ी के पीछे तीन लोग और कौन हैं। तो उसने मुझे बताया कोच, फीजियो और फिटनेस ट्रेनर। वहीं मैं अकेला था। लेकिन टोक्यो में मेरे साथ भी मेरे कोच, फीजियो और फिटनेस ट्रेनर थे। तो हम कह सकते हैं ये बदलता भारत है।
Israr Ahmad
संपादक