रुड़की के मंगलौर स्थित लिब्बरहेरी उत्तम शुगर मिल के गेट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मंगलोर विधायक काजी निजामुद्दीन अपने समर्थकों के साथ गन्ना मूल्य की घोषणा को लेकर धरने पर बैठ गए। इस दौरान हरीश रावत के द्वारा आधे घंटे का मौन भी रखा गया। हरीश रावत ने मौजूदा सरकार पर जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब की तर्ज पर गन्ने का मूल्य घोषित करे वहीं भाजपा सरकार पर जमकर तंज भी कसे।
बता दें कि दिल्ली से देहरादून जा रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत मंगलौर के लिब्बरहेड़ी स्थित शुगर मिल में धरने पर बैठ गए। इस दौरान उनके साथ मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन और सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे। करीब आधे घंटे तक सांकेतिक धरना प्रदर्शन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने अभी तक गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया है, उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति ईमानदार नही है, किसानों के शोषण पर उतारू है और अगर किसान अपनी आवाज उठाता है तो सरकार उसे दबाने का काम करती है। उन्होंने मांग की कि पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड में गन्ने के दाम घोषित किए जाने चाहिए। इस दौरान विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि आज भाजपा सरकार में किसानों की हालत चिंताजनक है, उन्होंने कहा कि अगर किसानों को वाजिब गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया गया तो कांग्रेस किसानों के समर्थन में किसी भी आंदोलन से पीछे नहीं हटेगी।
वहीं अगर बात करें मोदी सरकार की तो जिस चरम पर महंगाई और किसानों की समस्या को लेकर आम जनता और किसान सड़कों पर उतरे हैं यह कहना गलत नहीं होगा कि आम जनता व किसान इस मौजूदा सरकार से त्रस्त हैं। वही अगर बात करें राज्य सरकार की तो उत्तराखंड में आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी भी कहीं जा सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस सरकार को उत्तराखंड में स्थापित करने के लिए किसी भी तरह का कोई मौका खोना नहीं चाहते। वही यह साफ देखा जा सकता है कि भाजपा के पिछले कार्यकाल में हरीश रावत इन्हीं समस्याओं को लेकर कभी फ्रंट पर नहीं दिखे बल्कि अगर कहीं देखा गया है तो पंजाब की राजनीति में कई दिनों तक कैमरे पर सुर्खियां बटोरते नज़र आए हैं। अब जनता और किसानों को लुभाने के लिए और अपनी ध्वस्त हुई राजनीति को जीवित करने के लिए कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते। तो यह कहना गलत नहीं है कि आने वाले चुनाव के अखाड़े को लेकर हरीश रावत पूरी तरह से अखाड़े में कूद चुके हैं और 2022 के चुनाव की तैयारियों में लग गए हैं। अब देखना यह होगा कि किसानों की यह समस्या का निस्तारण हरीश रावत क्षेत्रीय विधायक काजी निजामुद्दीन कितना कर पाते हैं।