हरिद्वार TODAY
रुड़की: चारधाम यात्रा पूरी तरह से धार्मिक यात्रा है। मौज मस्ती या पिकनिक के तौर पर इसे नहीं देखना चाहिए। यह कहना है देश के वरिष्ठ संतों का। दरअसल बीते कई सालों से चारधाम यात्रा में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। देवभूमि में आने वाले तीर्थयात्री मौज मस्ती के लिए पहाड़ों पर जाते हैं। जिसे लेकर संतों के एतराज के बाद अधिकारियों ने भी देवभूमि आने वाले श्रद्धालुओं से यात्रा की पवित्रता बनाए रखने की अपील की है।
एक दौर था जब देवभूमि उत्तराखंड के चारधामों पर जाने से पहले श्रद्धालू अपने जीवन की सभी जिम्मेदारियों को निभा कर ही पहाड़ों पर जाते थे। आज की तरह उस दौर में ना तो सड़कें थी ना ही हवाई सेवा सुविधाएं बढ़ने के साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं में तेजी से इजाफा हुआ। गर्मी की छुट्टियों में जब देश भर में भयंकर गर्मी और उमस से लोग बेहाल होते हैं तो ठंडे पहाड़ों का रुख करते हैं। लोगों की पहाड़ों के प्रति यह दीवानगी लगातार बढ़ रही है। हालात यह हैं कि हर साल चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इस बढ़ी संख्या में सबसे ज्यादा श्रद्धालू ऐसे होते हैं। जो केवल मौज मस्ती और पिकनिक की खोज में चारधाम यात्रा पर जाते हैं। जिसे लेकर संत समाज में बेहद गुस्सा है। संतों ने श्रद्धालुओं से अपील की है अगर उन्हें मौज मस्ती या पिकनिक ही मनाना है तो वे बिल्कुल भी चारधाम यात्रा पर ना आएं। संतों ने लोगों से अपील की है कि वे इस धार्मिक यात्रा की पवित्रता बनाए रखे।
चारधाम यात्रा अब बहुत सरल हो गई है। बढ़ी सुविधाओं से अब चंद दिनों में ही यात्रा पूर्ण हो जाती है। इसलिए लोग पहाड़ों का रुख करते हैं। पहाड़ों पर बने महंगे होटल भी यात्रा के दौरान लोगों को पिकनिक का बढ़ावा देते हैं। ऐसे में संतो का गुस्सा लाजमी है। पहाड़ों पर होने वाली ट्रैकिंग,कैंपिंग और स्कीइंग जैसे खेल भी इस आध्यात्मिक यात्रा की पवित्रता खो रहे हैं। लिहाजा अधिकारी भी लोगों से अपील करते नजर आ रहे हैं।